बलूच बोले छेड़ा है छोड़ो नहीं

भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के इस दौर में बलूचिस्तान के लोग बेशक भौतिक रूप से पड़ोसी मुल्क में हों, लेकिन उनका दिल भारत के लिए धड़कता है


बलूचिस्तान के लोगों का भारत के प्रति दिली झुकाव रहा है। इसलिए जब-जब पाकिस्तान-परस्त आतंकवादियों ने भारत की जमीं को लाल किया, उनके दिलों को चोट पहुंची। इस बार भी पुलवामा में भारतीय सैनिकों पर हमला कराने का दुस्साहस करने के बाद उन्हें तकलीफ हुई। और अब जब भारत ने आक्रामक रुख अपना लिया है, तो बलूचिस्तान के लोगों को लगता है कि अब भारत को पैर पीछे नहीं खींचने चाहिए। आने वाले समय में पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा, लेकिन भारत को तब तक ढील नहीं देनी चाहिए, जब तक इसका कोई ठोस परिणाम नहीं दिखता। एक स्थानीय निवासी ने पांचजन्य के लिए यह रिपोर्ट फाइल करने में हमारी मदद की और विभिन्न इलाकों के आम लोगों से इस विषय में बातचीत की। पाक सेना के जुल्म के शिकार इन निहत्थे आम लोगों को कोई खतरा पैदा न हो, इसलिए इस रिपोर्ट में उनके नाम बदल दिए गए हैं।


 

खुजदार इलाके के अमीर बलोच युवा हैं। अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इनके पिता को 2011 में फ्रंटियर कॉर्प्स के लोगों ने उस समय उठा लिया था जब वह रोज की तरह खेत में काम कर रहे थे। फिर लौटकर नहीं आए। भारत-पाक के बीच मौजूदा तनाव पर अमीर कहते हैं, “ इधर और उधर, हालात      मुकतलिफ (अलग) तो नहीं हैं। इंडिया भी पाकिस्तान के खतरनाक फौजी मंसूबों का शिकार है और हम भी उनके जानिब (उनकी ओर) से बलूच नस्लकुशी को झेल रहे हैं। फर्क सिर्फ दायरे का है। हमें पता है, पाकिस्तान को बिना मुक्कमल सबक सिखाए छोड़ा तो वह और भी खतरनाक हो जाएगा।” जब अमीर से यह पूछा गया कि आखिर वह एक भारतीय की तरह भारत की बात क्यों कर रहे हैं, तो उनका जबाव बड़ा साफ था जो बताता है कि बलूचिस्तान के लोग भारत को कितनी इज्जत के साथ देखते हैं। अमीर कहते हैं, “ सरहदें जमीन पर खींची जाती हैं, दिलों पर नहीं। वालिद बताते थे कि पहले हमारे ताल्लुकात तब आज के हिन्दोस्तानी इलाकों से ज्यादा थे। और फिर मैं खुद भी महसूस करता हूं कि इंडिया में इंसानी हुकूक का अहसास अवाम से लेकर हुकूमत तक में बाबस्त है।” 

  
      मुस्टंग के मुशान बलोच ढलती उम्र के हैं। पाकिस्तानी सेना के जुल्म को उन्होंने खुद सहेहैं। उन्होंने अमीर बलोच की तरह पढ़ाई तो नहीं की। इसलिए उनकी प्रतिक्रिया कुछ अलग रही। वह कहते हैं, “सलाहियतपसंदों (उचित-अनुचित का ध्यान रखने वालो) के साथ ही ऐसा क्यों होता है? नेकबंदी पर यकीन कायम रहे, इसके लिए इंसाफ की बका (नित्यता) को जिंदा रहना होगा।”

क्वेटा में अपना काम करने वाले रहने वाले आसिफ बलोच अधेड़ उम्र के हैं। उनसे जब हमने पूछा कि उन्हें क्या लगता है, भारत में वो ताकत है कि पाकिस्तान को सबक सिखा सके तो वह उल्टा सवाल करते हैं, “ हम, हमारी नस्लें पाकिस्तानी फौज की जबर (अत्याचार) का मुकाबला कैसे कर रही हैं? हमारे पास न ताकत है, न इल्म। ये तकाजे की बात होती है, फैसले की बात होती है। इंडिया तो एक ताकतवर जम्हूरी मुल्क है। उसकी आवाज दुनिया में बुलंद है। उन्हें पूरी ताकत से मुकाबला करना चाहिए। ”


 

     ऐसा ही कुछ तुरबत के आसिफ बलोच का भी मानना है, आसिफ ऊंची तालीम के बाद एक एक निजी कंपनी काम कर रहे हैं। जब उनसे यही सवाल पूछा गया तो उनके जवाब में पढ़े-लिखे आदमी की तरह सहज सतर्कता भी दिखी। सबसे पहले पूछा- ‘रिपोर्टर हैं, नाम तो जाहिर नहीं करेंगे?’ इत्मीनान होने के बाद आधी ऊर्दू - आधी अंग्रेजी में अपनी बात कही। कहा, “ इस बात से इनकार नहीं कि टेररिज्म हमारे लिए नासूर हो गया है। हम गलत रास्ते पर जा रहे हैं। पतली रस्सी पर चलने की बाजीगरी हरवक्त नहीं की जा सकती। इराक, सीरिया में क्या हो रहा है, सबके सामने है। दहशत को अगर आप अपनी स्टेट पॉलिसी बनाएंगे तो एक दिन मुसीबत तो आएगी। जितना रिसोर्सेज टेररिस्ट पर लगाते हैं, उससे तो न जाने कितनी डेवलपमेंट के काम हो जाते।” ... आसिफ अपनी लय में बोले चले जा रहे थे।

     हमारे सूत्र ने उन्हें याद दिलाया कि उनसे सवाल तो यह था कि क्या भारत में पाकिस्तान को सबक सिखाने की ताकत है तो आसिफ ने कहा, “ यह तो दुनिया जानती है। इंडिया और पाकिस्तान में कोई कम्पैरिजन नहीं। स्ट्रौंग डेमोक्रेसी, वाइब्रेंट इकोनॉमी, बेहतर फौज... वे हमसे काफी आगे हैं। मौजूदा मसले का जवाब इसमें नहीं कि पाकिस्तान की ताकत क्या है, वह चाहता क्या है। इसका जवाब यह है कि इंडिया क्या चाहता है। उसने क्या टारगेट बना रखे हैं।”

 

      कुल मिलाकर यही कह सकते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के इस दौर में बलूचिस्तान के लोग बेशक भौतिक रूप से पड़ोसी मुल्क में हों, लेकिन उनका दिल भारत के लिए धड़कता है क्योंकि उन्हें पता है कि उनका देश आतंकवाद के सहारे राजनीतिक उद्देश्य पाने के गलत रास्ते पर चल रहा है। उनकी कामना है कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए। क्योंकि वे मानते हैं कि निरंकुश पाकिस्तान न केवल बलूचिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है।


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