जम्मू—कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 लागू करने को सरदार पटेल राजी नहीं थे लेकिन 1938 से शेख अब्दुल्ला के जादू की गिरफ्त में नेहरू उनके हर इशारे पर नाच रहे थे। उन्होंने पटेल पर दबाव बनाया और अनिच्छा के बावजूद इसके विरोध से पीछे हट गए
1938 से शेख अब्दुल्ला के जादू की गिरफ्त में नेहरू उनके हर इशारे पर नाच रहे थे. शेख अब्दुल्ला को पता था कि मिनिस्ट्री आफ स्टेट्स देख रहे सरदार पटेल के रहते उसकी दाल गलनी संभव नहीं है. ऐसे हालात में नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के मामले को अपने हाथ मे ले लिया, तो समझा जा सकता है कि ऐसा क्यों किया गया होगा. इस पर जब विवाद खड़ा हुआ तो नेहरू ने कहा था-कश्मीर मे जो भी गलत या सही होगा, उसका जिम्मेदार मैं होऊंगा. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे के प्रस्ताव को लेकर नेहरू संविधान सभा में भी घिर गए थे. विरोध इतना मुखर था कि इसकी मंजूरी मिलनी असंभव दिखाई दे रही थी. तब नेहरू ने हथियार डालते हुए सरदार पटेल को विदेश से फोन किया. वह अनिच्छा के बावजूद नेहरू की बात मानते हुए इसके विरोध से पीछे हट गए.