कैग ने राफेल पर मोदी सरकार की डील को सही बताया है. पेज 136 पर रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि यूपीए के मुकाबले मोदी सरकार में राफेल डील 2.86% सस्ते में हुई
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी सीएजी ने भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निराश कर दिया है. फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में घोटाले का शोर मचा रहे कांग्रेस अध्यक्ष को ये रिपोर्ट पसंद नहीं आई क्योंकि इसमें कहा गया है कि यूपीए के मुकाबले मोदी सरकार ने 2.86 फीसद कम दाम में राफेल सौदा किया है. पहले जानिए कि सीएजी रिपोर्ट में क्या है. राफेल पर सीएजी की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश कर दी गई है. इस रिपोर्ट में बड़ी जानकारी सामने आई है कि कैग ने राफेल पर मोदी सरकार की डील को सही बताया है. पेज 136 पर रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि कि यूपीए के मुकाबले मोदी सरकार में राफेल डील 2.86% सस्ते में हुई. राफेल का फ्लाईअवे प्राइस 2015 में UPA के 2007 के बराबर बताया गया है.
कैग से पहले सर्वोच्च न्यायालय राफेल सौदे को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को क्लीन चिट दे चुका है. इस विषय पर जब राहुल गांधी के बोलने के लिए कुछ नहीं बचा तो कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद मैदान में उतरीं. कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी के तेवर ने दर्शा दिया कि गलत या सही, राहुल गांधी राफेल पर इतना आगे बढ़ चुके हैं कि कांग्रेस पीछे नहीं हट सकती. तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के साथ प्रदर्शन में शामिल होकर सोनिया गांधी ने ये भी बता दिया कि सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, उनके परिवार के अस्तित्व का सवाल है. सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर हैं. प्रियंका वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा एक दर्जन से ज्यादा मनीलांड्रिंग और दलाली के मामलों में अग्रिम जमानत की वजह से गिरफ्तार नहीं हुए हैं. ऐसे में जबकि पार्टी के अध्यक्ष पर ही जेल जाने का खतरा मंडरा रहा है, प्रियंका गांधी को महासचिव बनाने के अलावा विकल्प क्या बचा है.
सोनिया गांधी जिस तरीके से प्रदर्शन में शामिल हुईं, साफ है कि कांग्रेस में बौखलाहट का दौर है. राहुल गांधी किस किस्म के सलाहकारों से घिरे हैं. कपिल सिब्बल को देखिए. एक तरफ वह राफेल मामले में राहुल गांधी के कानूनी सलाहकार हैं, वहीं दूसरी तरफ वह अनिल अंबानी के वकील भी हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला जींद से विधानसभा चुनाव तक नहीं जीत पाते. ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे सलाहकार उन्हें आधे-अधूरे कागज के साथ राफेल सौदे जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर प्रेस के सामने धकेल देते हैं. बौखलाहट इस कदर कि एक बार मुंह की खाने के बाद एक नए कागज के साथ राहुल गांधी फिर प्रेस कान्फ्रेंस करने बैठ जाते हैं. कागज ये भी प्लांटिड निकलता है.
अपने बेटे की यही दुविधा दूर करने के लिए सोनिया गांधी आगे आई हैं. उनके अंदाज से साफ है कि वह राहुल को सलाह दे रही हैं कि अरविंद केजरीवाल की तरह हिट एंड रन की राजनीति करें. राफेल सौदे को लेकर एक ही झूठ को हजार बार बोलकर सच बनाने सरीखी राजनीति सोनिया गांधी पहले भी कर चुकी हैं. कांग्रेस 2004 के लोकसभा चुनाव की हांडी को दोबारा चढ़ाना चाहती है. उस समय सोनिया गांधी के नेतृत्व में पूरी कांग्रेस ने एक कपोल कल्पित ताबूत घोटाले का जिन्न पैदा किया था.
कैग की रिपोर्ट पेश होते ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने अंदाज में ट्वीट किया कि महाझूठागठबंधन एक्सपोज हो चुका है. जेटली ने ट्वीट करके कहा कि देश लगातार बोले गए झूठ को कैसे माफ कर सकता है. साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट गलत, सीएजी गलत और बस एक खानदान सच्चा. ये भी अब साफ हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट और सीएजी जैसी संवैधानिक संस्थाओं से क्लीन चिट प्राप्त एक सौदे को लेकर राहुल गांधी कितना चिल्ला पाएंगे, इस पर संदेह है. लेकिन आप जरा सोचिए, कांग्रेस और राहुल गांधी के पास इसके अलावा रास्ता क्या है. जरा राफेल का नकाब हटा दीजिए, तो बताइये कि कांग्रेस किस मुंह से लोकसभा चुनाव में उतरे...