योगी तो सख्त सीएम माने जाते है ,फिर उनकी साख पर ऐसा बट्टा क्योँ??

यह कैसी अंपायरिंग की दो-दो कप्तान विवादास्पद LBW से गए पैवेलियन में


ब्रह्मांड की सुरक्षा करने वाली मां विन्ध्यवासिनी के जिले में सुरक्षातंत्र में यह कैसा प्रयोग ?
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मिर्जापुर ,सलिल पांडेय। बड़े शौक से जिला देख रहा था बोल्ड कप्तानी पर कर दिए जा रहे हैं एलबीडब्लू आउट ? यह वर्तमान कप्तान के साथ नहीं बल्कि महिला कप्तान के साथ भी ऐसा ही हुआ था ।


72 दिन और भेज दिया पैवेलियन
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30 नवम्बर '18 को मिर्जापुर में कप्तानी सम्हाला था अम्बेडकर नगर से आकर श्री विपिन कुमार मिश्र ने । मिर्जापुरी पुलिस पिच का अध्ययन कर वे अपराधियों को क्लीन बोल्ड करने में लगे थे । चांदी लूट, मोबाइल चोरी जैसी घटनाओं को निश्चित समय सीमा में वर्क आउट करने में सफलता मिल रही थी । जिले से वाह-वाह शुरू होने लगा था कि 20 फरवरी को उनको पैवेलियन में भेज दिया गया ।


प्रतिष्ठा का प्रश्न तो नहीं शास्त्रीपुल ?
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जिले में शोर है कि कंपकंपाते शास्त्रीपुल पर आवागमन तथा दुर्घटना नियन्त्रण की कोशिश में खुद ट्रांसफर जैसे हादसे के शिकार हो गए ? 6 चक्का से लेकर 20 से 24 चक्के ही नहीं उससे भी अधिक भारी वाहन जब पुल से गुजरता है तो पुल चीखता है और उससे जो आवाज आती है वह है 'त्राहिमाम-त्राहिमाम' की ।


CRRI ने सुना था यह शब्द
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देश की सबसे बड़ी सरकारी एजेंसी सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रखर और काबिल इंजीनियर इस चीख को सुनने के बाद रिपोर्ट दे ही नहीं गए बल्कि आज भी इस पर अड़े हैं कि यदि 35टन (ट्रक और समान दोनों के वजन सहित) से अधिक भार पड़ा तो पुल 'वीरगति' को प्राप्त हो सकता है ।


डिजिटल टेस्टिंग की जरूरत
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उक्त एजेंसी के पास एक मशीन है उससे लोड चेकिंग केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में होती है । जब तक उस मशीन से जांच न हो जाए, तब तक 35 टन से उपर के वाहन न जाने दिए जाएं । इस दृष्टि से 6 टायर के ही ट्रक इस पुल पर चल सकते है ।


मोटरमालिक राजनीति की शरण में
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प्रतिबंध के बाद से मोटरमालिक राजनीतिज्ञों की शरण में गए लेकिन किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही है कि लिखित में 35 टन से उपर को अनुमति दे दे । लिहाजा SP श्री विपिन मिश्र भी टस से मस नहीं हुए और पुलिस के दरोगा पुल पर भारी वाहन नहीं जाने दे रहे हैं । स्वाभाविक है चुनावी माहौल में वोट-नोट का महत्त्व होता है लिहाजा कतिपय वाहनमालिक पूरी ताकत लगा बैठे । क्योंकि वाहनों के चलने के मामले में झांव-झांव की भी खबर उड़ी । SP का स्ट्रिक्ट रहना बहुतों को अखरा भी । वैसे कतिपय ट्रांसफर पोस्टिंग से भी राजनैतिक खेमा अलफ़ लगता दिख रहा है ।


लोकसभा चुनाव में कहीं नाव न चले
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केंद्रीय टीम को दरकिनार कर यदि सारे ओवरलोडेड वाहन चले तो यह भी हो सकता है कि मिर्जापुर में यदि मई में चुनाव हुआ तो चील्ह तथा भदोही जाने के लिए ही नहीं बल्कि पोलिंग पार्टी को कहीं नाव से आने जाने की नौबत न आ जाए ।


शालिनी भी LBW हुई थीं ।
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वह भी तेज तर्राक थीं । मुकरीबाजार के बवाल में उनकी सख्ती आज भी लोगों की जुबान पर है । उन्हें भी कुछ ही दिनों हटाया गया था ।


योगी तो सख्त CM माने जाते हैं
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मुख्यमंत्री को पक्ष-विपक्ष के लोग सख्त मानते हैं । लेकिन ब्रह्मांड की सुरक्षा करने वाली मां विन्ध्यवासिनी के जिले में सुरक्षा तंत्र में जल्दी जल्दी ट्रांसफर से प्रदेश सरकार की साख पर बट्टा लग रहा है ।।