राम को काल्पनिक किरदार बताने वाली कांग्रेस की नव अवतरित महासचिव श्रीमती प्रियंका वाड्रा गांधी गले में रुद्राक्ष और मनकों की माला पहने गंगाजल का आचमन कर रही थीं. यह धर्म को जीना नहीं, उसका सुविधाजनक प्रदर्शन है. वायनाड में मुस्लिम वोटों के दम पर चुनाव लड़ रहे राहुल हिंदू प्रतीकों के साथ खड़े क्यों नहीं हो रहे हैं ?
जिस देश में पत्रकार किसी के एक टोपी न पहनने को लेकर सालों डिबेट कर सकते हैं, वे वायनाड में जनेऊधारी कांग्रेस अध्यक्ष के जनेऊ से लेकर तिलक तक, सब कुछ गायब होने पर चुप रहते हैं. यह भी सुविधाजनक प्रदर्शन ही है. यदि हम कलावा बांधते हैं, तो वह प्रदर्शन नहीं है. वह विश्वास है कि यह रक्षा सूत्र है. यदि तिलक धारण करते हैं, तो ब्रह्मकृपा और सद्बुद्धि का आशीर्वाद है. यदि जनेऊ धारण करते हैं, तो उसका वैज्ञानिक आधार है. कर्ण छेदन है, तो उसके शारीरिक लाभ हैं
राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग के हरे परचमों की छांव में केरल की वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन किया, तो क्या वह अपनी बहन के साथ किसी मंदिर गए. क्या आपको कहीं, जनेऊ, तिलक और कलावा नजर आया. यह धर्म को जीना नहीं, उसका सुविधाजनक प्रदर्शन है.आप भूले नहीं होंगे, जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जनेऊधारी ब्राह्मण होने का प्रचार पूरी पार्टी मिलकर कर रही थी. प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ताल ठोककर कहा था कि राहुल जनेऊधारी ब्राह्मण हैं. आप नहीं भूले होंगे कि कभी हिंदू आतंकवाद का हौवा सरकारी मशीनरी के दम पर खड़ा करने वाली कांग्रेस के अध्यक्ष मंदिरों में दर्शन-पूजन कर रहे थे.