आजम खान ने रामपुर से भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की। उन शब्दों को यहां लिखा नहीं जा सकता लेकिन नारी सम्मान की वकालत करने वालीं मायावती,डिंपल यादव, प्रियंका गांधी और, सपा से राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने एक बार भी इस संबंध में कुछ नहीं बोला क्यों ?
लखनऊ ,अरुण कुमार सिंह -मायावती गेस्ट हाउस काण्ड भूल गयीं. डिम्पल यादव और जया बच्चन सरीखी महिला सांसद ने एक महिला के खिलाफ की गई इस अभद्र टिप्पणी पर कुछ नहीं बोला क्यों ?
भाजपा प्रत्याशी होने से पहले जयाप्रदा एक महिला हैं, वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं क्या इसलिए ?
इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया कि -" मुलायम भाई - आप पितामह हैं समाजवादी पार्टी के, आपके सामने रामपुर में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा है. आप भीष्म की तरह मौन साधने की गलती मत करिये.” मगर मुलायम सिंह यादव ने भी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी.
उत्तर प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी की सरकार में कानून - व्यवस्था तार-तार हो चुकी थी. तब उसका बचाव करते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि "लड़के हैं गलती हो जाती है.” उस समय तूफ़ान खडा हो गया था. उनकी अपनी बहू डिम्पल यादव ने मुलायम सिंह के बयान पर आपत्ति जाहिर की थी. मुलायम के इस बयान की हर तरफ आलोचना हुई थीं मगर आजम खान की अश्लील और घृणित टिप्पणी पर हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ है. सपा की सांसद जया बच्चन चुप हैं. डिम्पल यादव भी खामोश हैं. मायावती गेस्ट हाउस काण्ड भूल चुकीं हैं. सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी भी इस चुनाव में महिलाओं के सम्मान पर पर बड़ी- बड़ी बाते तो कर रही हैं मगर आजम खान के इस आपतिजनक बयान पर अभी तक कोई प्रतिकिया नहीं दी है. सिर्फ एक नेता की प्रतिक्रिया आयी है सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की. अखिलेश यादव ने भी बेशर्मी की हदें पार करते हुए आजम खान का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि “ आजम खान ने अपने भाषण में किसी का नाम नहीं लिया. वो आर.एस.एस की ड्रेस पर टिप्पणी कर रहे थे."
आजम खान के बयान पर जयाप्रदा ने कहा कि "किसी महिला के लिए कोई मानसिक रोगी ही ऐसे शब्दों का प्रयोग कर सकता है. आजम खान , हार की डर से बौखला गए हैं. जो मंच पर सैकड़ों लोगों के सामने ऐसा भद्दा बयान दे सकते हैं. वो बंद कमरे में कैसी भाषा बोलते होंगे. अखिलेश यादव को भी शर्म आनी चाहिए."
अब ज़रा आजम खान के भाषण पर गौर करें तो आजम खान कह रहे हैं कि "मैं आपसे सवाल करता हूं कि राजनीति इतनी गिर जायेगी. दस बरस , जिसने रामपुर वालों का खून पिया , लहू पिया , जिसकी उंगली पकड़ कर हम रामपुर में लेकर आये . रामपुर की गलियों , रामपुर की सड़कों की पहचान कराई. किसी का कान्धा नहीं लगने दिया उसके शरीर से , आप गवाही दोगे. किसी को छूने नहीं दिया. गंदी बात नहीं करने दी. आपने दस साल अपना प्रतिनिधित्व कराया. रामपुर वालों , उत्तर प्रदेश वालों , हिन्दुस्तान वालों आपको उसकी असलियत समझने में 17 बरस लगे. मैं उसे 17 दिन में समझ गया था. ......" बयान में साफ है कि आजम खान, जया प्रदा के बारे में में ही वक्तव्य दे रहे हैं मगर अखिलेश यादव ने सार्वजनिक रूप से आजम खान को माफी मांगने के लिए नहीं कहा और न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की बल्कि उल्टे उनका बचाव किया.
आजम खान का बयान आने के बाद रात में 9 बजे मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई. प्रेस कांफ्रेस में मायावती ने केवल चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध के बारे में अपनी प्रतिक्रया दी. आजम खान के अमर्यादित वक्तव्य के बारे में उन्होंने कोई चर्चा तक नहीं की. सत्ता की लालच में आज मायावती, जया प्रदा के अपमान को नजर अंदाज कर रहीं हैं. सपा से समझौता करने के बाद मायावती 2 जून गेस्ट हाउस काण्ड को भूल गयीं. 2 जून गेस्ट हाउस काण्ड की घटना को वह हमेशा याद रखती थीं और लोगों को समय समय पर याद भी दिलाती थीं. जब - जब मायावती और मुलायम सिंह यादव के बीच समझौते की बात चली तब – तब मायावती यहीं कहती थीं कि 2 जून 1995 को मेरे साथ जो हुआ उसे मैं कभी भूल नहीं सकती हूं. यही वजह है कि मायावती जब भी मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने गेस्ट हाउस काण्ड में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कारवाई कर उन्हें जेल भिजवाया.
लालू यादव और मुलायम सिंह यादव के परिवार से जब रिश्तेदारी हो गयी. तब लालू यादव ने प्रयास किया कि सपा और बसपा में समझौता हो जाय. उसी समय की बात है जब एक पत्रकार ने मायावती से इस सम्बन्ध में सवाल पूछा ,मायावती ने उस समय उत्तर दिया था कि "जो घटना मेरे साथ हुई थी. वही लालू यादव की बेटी मीसा भारती के साथ हुई होती तब भी क्या लालू यादव समझौते की बात करते."
आज सपा—बसपा में हुए समझौते के बाद मायावती को जया प्रदा के अपमान से कोई सरोकार नहीं हैं क्यों ? क्या उनका मकसद सिर्फ सत्ता पाना है। 'महिलाओं के अधिकार' विषय पर संगोष्ठी में भाषण देने वाली सांसद डिम्पल यादव और सांसद जया बच्चन भी चुप्पी साधे हुए हैं आखिर क्यों ?
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में पहली बार जया प्रदा सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ी थीं और सांसद चुनी गयीं थीं. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भी दोबारा रामपुर से सांसद चुनी गयी थीं. लगातार दस बरस तक उन्होंने रामपुर का प्रतिनिधित्व किया. पहली बार जब जया प्रदा चुनाव लड़ने गयी थीं तब आजम खान ने उनका चुनाव प्रचार किया था. उसके बाद आजम खान और अमर सिंह का समाजवादी पार्टी के भीतर विवाद बढ़ गया था. अमर सिंह भारी पड़े और आजम खान को पार्टी से निकाल दिया गया. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में आजम खान ने जया प्रदा का विरोध किया था. उसके बाद भी वह चुनाव जीत गयीं थीं.
समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद उस समय भी आजम खान ने जया प्रदा पर ओछी और अमर्यादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि “ एक रक्कासा (नाचने वाली ) के लिए मुझे पार्टी से निकाला गया है.” वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के समय में जयाप्रदा को बदनाम करने की नीयत से उनके अश्लील पोस्टर और चित्र रामपुर की सड़कों पर लगवाये गए थे. उस समय जयाप्रदा ने आरोप लगाया था कि “इस तरह की ओछी हरकत आज़म खान के इशारे पर हो रही है.”
जयाप्रदा रामपुर से दो बार सांसद रह चुकी हैं. रामपुर में जयाप्रदा काफी लोकप्रिय हैं और वहां के लोगों के सुख - दुःख में शामिल होती रही हैं. अब आज़म खान को जयाप्रदा से कड़ी टक्कर मिल रही है।