हिंन्दू जगेगा, विश्व जगेगा!
भारत का स्वाभिमान जगेगा !!
भेद भाव का तमस मिटेगा !
मानवता अमृत वर्सेगा !! हिन्दू जगेगा ...हिन्दू जगेगा
हिन्दू जीवन मूल्य विश्व के कल्याण की गारंटी है-यह तो स्वयं प्रमाणित है-बस इनकी स्थापना के लिए देव दुर्लभ कार्यकर्ताओं की एक टोली चाहिए थी-जिसकी व्यवस्था डॉक्टर जी द्वारा स्थापित पद्धति के द्वारा हो रही है। हिन्दू के जागरण से ही विश्व का जागरण संभव है और उसी से विश्व का, मानवता का, संपूर्ण अस्तित्व का कल्याण होगा। हिन्दू जगेगा, विश्व जगेगा।
हाईस्कूल में पढ़ते हुए ही अपने विद्यालय में वन्दे भारत आन्दोलन का आयोजन करना, स्कूल से निकाला जाना, अन्यत्र जाकर नए स्कूल में दाखिला, पर वहां भी स्कूल बंदी। जैसे-तैसे हाईस्कूल पास करना, कलकत्ता जाकर मेडिकल की पढ़ाई, क्रांतिकारी गतिविधि- ये सभी कोई मामूली घटनाएं नहीं हैं। हाईस्कूल के होते हुए ही विजयादशमी पर उग्र भाषण में अंग्रेजों को रावण का राक्षस कुल का बताना, इतनी कम उम्र में भी गुप्तचर विभाग की निगाह में आना, सभी बातें मानो ईश्वर द्वारा प्रायोजित थीं।
यह मानना पड़ेगा कि कालान्तर में पूरे अस्तित्व का ही पोषण हो, ऐसी व्यवस्था बन रही है। ऐसा कोई कारण नहीं दिखाई देता कि बिना किसी पारिवारिक पृष्ठभूमि या परिस्थिति-जन्य प्रतिक्रिया के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाला एक छोटा बालक एक विशेष तर्क से मिठाई-मुफ्त में प्राप्त मिठाई- को फेंक दे या तमाशा देखने की आयु में उसी तर्क से आतिशबाजी देखने से मना कर दे, साथियों या बड़े भाई के कहने पर भी। अभी किशोरावस्था में ही थे। रिश्तेदारी में यवतमाल गए। हमउम्र साथियों को लेकर मालरोड पर गिल्ली डंडा खेलने चले गए। मालरोड पर इसलिए कि वह सड़क अंग्रेजों ने अपने लिए आरक्षित कर रखी थी।
गहराई से विचार करने पर ऐसा लगता है मानो भगवान ने हमारे देश और हमारे हिन्दू समाज पर विशेष उपकार करते हुए केशव को भेजा था। किशोर केशव का कहना था कि हमारे देश की सड़क अंग्रेजों की कैसे हो गई। अभी खेल प्रारम्भ ही हुआ था कि अंग्रेज साहब बहादुर की सवारी आ गई तो पहले अहलकार ने गिल्ली डंडा खेलने वालों को वहां से हटाने की कोशिश की। अभी कुछ तर्क-वितर्क चल ही रहा था कि सवारी निकट आने पर इन बालकों को साहब बहादुर से सलाम करने को कहा गया तो केशव बोल पड़े, ‘‘मैं तो राजधानी नागपुर से आया हूं। वहां बिना जान-पहचान के नमस्ते करने का रिवाज नहीं है, यदि यहां का रिवाज ऐसा हो तो ये साहब बहादुर ही हम लोगों को सलाम करें।’’