सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में जुलाई 22, 2010 को अमित शाह को सीबीआई ने 1 बजे पेश होने को कहा। समन सिर्फ़ 2 घंटे पहले यानी 11 बजे दिया गया था। फिर 23 जुलाई को पेश होने को कहा गया और उसी दिन शाम 4 बजे चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
गिरफ्तारी के डर से भागे-भागे फिर रहे वरिष्ठ कॉन्ग्रेसी पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम और मौजूदा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच का फर्क जानना हो तो आपको वक्त को नौ साल पीछे ले जाना पड़ेगा। वह रविवार (जुलाई 25, 2010) का दिन था। सोहराबुद्दीन फेक एनकाउंटर केस में सीबीआई को गुजरात के गृह मंत्री की तलाश थी। उस व्यक्ति की जो राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सरकार में सबसे ज्यादा रसूख रखने वाला शख्स माना जाता था। जिसके पास एक साथ 12 मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। ये शख्स थे अमित शाह।
अमित शाह के ख़िलाफ़ क्या खेल रचा गया था, इसकी एक जरा सी बानगी देखिए। जुलाई 22, 2010 को अमित शाह को सीबीआई का समन मिला की वो दोपहर 1 बजे एजेंसी के समक्ष प्रस्तुत हों। यह समन उन्हें सिर्फ़ 2 घंटे पहले यानी 11 बजे दिया गया था। इसके बाद उनसे कहा गया कि वह 23 जुलाई को एजेंसी के सामने पेश हों। उसी दिन शाम 4 बजे चार्जशीट दाखिल कर दिया गया और उसके अगले दिन अमित शाह ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन, इन सारे प्रकरण में अमित शाह की नाराज़गी केवल इस बात को लेकर थी कि एक तो उन्हें जवाब देने का समय नहीं दिया गया और फिर उनकी बात सुने बिना चार्जशीट दाखिल कर दिया गया।
चिदंबरम के मामले में ऐसा नहीं था। उन्हें अदालत से कई बार राहत मिली। अगर उनके ख़िलाफ़ चल रहे आईएनएक्स मीडिया केस और एयरसेल-मैक्सिस केस को मिला दें तो पाएँगे कई महीनों से अदालत से उन्हें गिरफ़्तारी से राहत मिल रही थी। बचाव के लिए उन्हें भरपूर समय मिला। अमित शाह के मामले में ऐसा नहीं था। उनका सवाल था कि किसी व्यक्ति को दोपहर 1 बजे पूछताछ के लिए बुलाया जाए और फिर 3 घंटे बाद ही 4 बजे हजारों पेज की चार्जशीट पेश कर दी जाए, तो उसका क्या मतलब निकाला जाए?
सीबीआई को गुजरात पुलिस के आतंकरोधी दस्ते द्वारा नवंबर 2005 में सोहराबुद्दीन शेख को एक एनकाउंटर में मार गिराने के मामले में उनकी तलाश थी। अमित शाह उस दिन सबसे पहले गुजरात भाजपा के दफ्तर पहुँचे। उससे एक दिन पहले उन्होंने अपने ख़िलाफ़ चार्जशीट फाइल होने के बाद मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। वहाँ उन्होंने घोषणा किया कि वे भाजपा दफ्तर से सीधा सीबीआई दफ्तर जाकर आत्मसमर्पण करेंगे।
उन्होंने अपने ख़िलाफ़ सारे आरोपों को बनावटी और कॉन्ग्रेस की साज़िश करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के बहाने गुजरात की भाजपा सरकार का एनकाउंटर करना चाह रही है। साथ ही उन्होंने पूरे भरोसे के साथ कहा कि न्यायपालिका में यह मामला नहीं टिकेगा। आप भी उस प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखिए, जिसमें अमित शाह ने आत्मसमर्पण से पहले अपनी बात रखी थी