बच्चे कुपोषण और एनीमिया से तभी मुक्त होंगे, जब वह स्वस्थ रहेंगे। कुपोषण के कई कारण हैं, जिसमें से एक कारण पेट में कीड़े होना है।
इसलिए जरूरी है कि हर छह माह पर एक से 19 साल तक के बच्चों को कृमिनाशक दवा एल्बेंडाजॉल खिलाएं। यह बात गुरुवार को नामित विधायक डेंजिल जे गोंडिन ने कही। खाली पेट न खिलाएं दवा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति सप्ताह की शुरुआत गुरुवार को कैसरबाग के क्रिश्चियन कॉलेज परिसर में हुई। यहां सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अगर पेट में कीड़े होंगे तो शरीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से नहीं होगा। पेट में कीड़ा मारने वाली दवा पूरी तरह से सुरक्षित है।
सीएमओ ने बताया कि यह दवा खाली पेट नहीं देनी चाहिए, इसलिए सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील और निजी स्कूलों में लंच के बाद बच्चों को दवा दी जा रही है। 30 से चार सितंबर तक मॉपअप राउंड राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डॉ. एके दीक्षित ने बताया कि एक से 19 साल तक के करीब 14 लाख बच्चों को राजधानी में दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है, जो बच्चे गुरुवार को दवा खाने से छूट गए हैं।
उन्हें 30 अगस्त से चार सितंबर तक मॉपअप राउंड के तहत उम्र के हिसाब से दी जाने वाली मात्रानुसार दवा खिलायी जाएगी। इस मौके पर एसीएमओ डॉ. अजय राजा, डिप्टी सीएमओ डॉ. वाईके सिंह, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, प्रो. मालेंदु मिश्रा, विष्णु यादव, सतीश, डॉ. गौरव, सुधीर वर्मा मौजूद रहे।
पेट में कीड़े होने के लक्षणपेट दर्द, वजन कम होना, आंख लाल होना, जीभ का सफेद होना, मुंह से बदबू आना, गले में धब्बे पड़ना, शरीर में सूजन, गुप्तांग में खुजली, उल्टी, मलत्याग करते समय खून आना, दस्त आदि। ऐसे करें रोकथामआसपास सफाई रखें, जूते पहनें, खुले में शौच न करें, खाने से पहले व शौच के बाद हाथ साबुन से धोएं, साफ पानी से फल व सब्जियां धोएं, साफ पानी पिएं, खाना ढककर रखें, नाखून साफ और छोटे रखें*।